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राज्यसभा में धनखड़ ने की संघ की तारीफ तो भड़के सिब्बल, बोले- सदस्य अपनी राय रख सकते, सभापति नहीं

July 8, 2025 8:41 pm

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वंदे भारत (हर्ष शर्मा) राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा राज्यसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कसीदे पढ़े जाने पर सियासी विवाद गहरा गया है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने धनखड़ पर निशाना साधा।उन्होंने कहा कि उच्च सदन के सभापति का बयान परंपरा के बिल्कुल उलट है। इस तरह की राय एक सदस्य रख सकता है, मगर सभापति नहीं।

क्या बोले थे सभापति, जिस पर हो गया विवाद?

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने बुधवार को आरएसएस पर टिप्पणी करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। साथ ही उन्होंने आरएसएस की तारीफ में कसीदे पढ़े थे। उन्होंने कहा था कि यह राष्ट्र की सेवा में लगा संगठन है और संगठन से जुड़े लोग निस्वार्थ भाव से काम करते हैं। देश के काम में लगे संगठन की आलोचना करना संविधान के खिलाफ है और उसे देश की विकास यात्रा का हिस्सा बनने का अधिकार है। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें टोकने की कोशिश भी की थी। इस हंगामे के बाद बसपा और बीजद सहित विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था।

सिब्बल का हमला

अब राज्यसभा के सभापति की टिप्पणी पर सिब्बल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘धनखड़ जी ने कहा था कि एक संगठन के रूप में आरएसएस की साख बेजोड़ है। इस पर मेरा मानना है कि यह सिर्फ उनकी राय है, जिससे सदन में अन्य लोग असहमत हो सकते हैं।’निर्दलीय सांसद ने आगे कहा कि चूंकि धनखड़ राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तरह की राय एक सदस्य द्वारा दी जा सकती है, लेकिन सभापति द्वारा नहीं। यह परंपरा के बिल्कुल विपरीत है।’

यह है पूरा मामला

दरअसल, सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने बुधवार को सदन में कहा था कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के प्रमुख के चयन के लिए सरकार ने आरएसएस की संबंद्धता होना अनिवार्य किया था। इस पर उपराष्ट्रपति धनखड़ बीच में टोकते हुए बोले थे कि आरएसएस ऐसा संगठन है, जिसके पास इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है। इसमें शामिल लोग निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आरएसएस राष्ट्रीय कल्याण और संस्कृति के लिए योगदान दे रहा है। हर किसी को ऐसे संगठन पर गर्व करना चाहिए।

इस पर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सपा सांसद के पक्ष में कहा था, ‘यदि कोई सदस्य नियम के तहत बोल रहा है और नियम का उल्लंघन नहीं कर रहा है तो उसे बोलने देना चाहिए। सुमन ने जो कहा वह सही था और धनखड़ जो कर रहे थे वह सही नहीं है।’

इसके बाद उन्होंने अगला सवाल उठाने को कहा, लेकिन फिर आरएसएस के मुद्दे पर बोलने लगे थे। धनखड़ ने कहा था कि उन्होंने देखा है कि लोग बंटवारे की गतिविधियों में संलग्न हैं। यह देश के विकास को धीमा करने के लिए एक भयावह तंत्र है। देश के भीतर और बाहर हमारी संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करने, धूमिल करने और अपमानित करने के जो प्रयास किए जा रहे हैं, उनकी सभी को निंदा करनी चाहिए। अगर हम ऐसा करने में विफल रहते हैं तो हमारी चुप्पी आने वाले वर्षों तक हमारे कानों में गूंजती रहेगी।

उपराष्ट्रपति ने कहा था, ‘मैंने सोच-समझकर, संवैधानिक सार, संवैधानिक भावना, सदन के नियमों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया है कि ऐसी कोई भी टिप्पणी न केवल संविधान के लिए अपमानजनक है, बल्कि राष्ट्र के विकास के लिए भी गलत है।’

Harsh Sharma
Author: Harsh Sharma

Journalist

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