उत्तराखंड में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होगी। इसके साथ ही राज्य में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। अब शादी का अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए ग्राम सभा स्तर पर पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी। किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय का व्यक्ति हो, उसके लिए तलाक का एक समान कानून होगा।
हलाला जैसी प्रथा पर होगी रोक
लड़कियों की शादी की उम्र, चाहे वह किसी भी जाति-धर्म की हों, एक समान होगी। सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा, हालांकि दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा। यूसीसी लागू होने के बाद राज्य में हलाला जैसी प्रथा बंद हो जाएगी और बहुविवाह पर भी रोक लगाई जाएगी। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर हिस्सेदारी मिलेगी।
लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य
लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण भी जोड़ों के लिए अनिवार्य होगा। इस दौरान पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार प्राप्त होंगे। यूसीसी के नियमों और कानूनों से अनुसूचित जनजाति को बाहर रखा गया है। ट्रांसजेंडर, पूजा-पद्धतियों और परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
यह उल्लेखनीय है कि समान नागरिक संहिता लागू करने के बाद उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य सेवक सदन में संहिता की नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण करेंगे।
सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था
यूसीसी में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसके तहत यदि कोई सैनिक, वायुसैनिक या नौसैनिक विशेष अभियान में है, तो वह विशेषाधिकार वाली वसीयत कर सकता है। यदि वह अपना वसीयत अपने हाथ से लिखता है और उसमें हस्ताक्षर या साक्ष्य (अटेस्टेड) नहीं होते, तो भी वह मान्य होगी। शर्त यह होगी कि इसकी पुष्टि यह सुनिश्चित करने के लिए की जाएगी कि यह हस्तलेख सैनिक का ही है।
15 दिन में निर्णय न मिलने पर विवाह पंजीकृत माना जाएगा
यूसीसी में विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। इसके लिए कट ऑफ डेट 27 मार्च 2010 निर्धारित की गई है। यानी इस दिन के बाद हुए सभी विवाह पंजीकरण कराने होंगे। विवाह का पंजीकरण छह महीने के भीतर करना होगा। विवाह पंजीकरण के लिए किए गए आवेदन पर कानूनी स्वीकृति न मिलने पर विवाह को स्वीकृत माना जाएगा।