Vande Bharat 24 Exclusive
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण आशु को आम आदमी पार्टी (AAP) के संजीव अरोड़ा से लगभग 10 हज़ार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान ही कांग्रेस में आंतरिक गुटबाज़ी सार्वजनिक रूप से सामने आ गई थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखे। इस आपसी फूट का सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिला और उन्होंने यह सीट जीत ली।
यह लगातार दूसरी बार है जब आशु को AAP के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने इस हार की पूरी ज़िम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है।
चुनाव नतीजों के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए आशु ने पहली बार हार और कांग्रेस की गुटबाज़ी पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “हमारे वोटों की संख्या बहुत खराब नहीं रही। लेकिन मैं सिर्फ एक बात कहूंगा कि यह चुनाव AAP सरकार की तानाशाही और सत्ता के दुरुपयोग के दम पर जीता गया है, उनके कामों की वजह से नहीं। यह सरकार की ताकत की जीत है, न कि उनके काम की। मैं इस हार की पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं।”

जब मीडिया ने आशु से पूछा कि अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और प्रताप बाजवा चुनाव प्रचार से दूर क्यों रहे, तो उन्होंने कहा, “इस सवाल का जवाब उन्हें खुद देना चाहिए। अगर वह प्रचार में आना चाहते थे तो उन्हें खुद आना चाहिए था और पार्टी के लिए प्रचार करना चाहिए था।”
एक अन्य सवाल के जवाब में जब आशु से पूछा गया कि क्या कांग्रेस एक बंटी हुई पार्टी है, तो उन्होंने कहा, “अगर ऐसा है तो इसे सुधारने की जिम्मेदारी हमारी नहीं, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष (वड़िंग) और नेता प्रतिपक्ष (बाजवा) की है।”
मीडिया ने जब यह पूछा कि वड़िंग का कहना है कि उन्हें जहां भी प्रचार के लिए बुलाया गया, वह वहां पहुंचे, तो इस पर आशु ने कहा, “अगर प्रदेश अध्यक्ष को खुद के लिए निमंत्रण का इंतज़ार करना पड़े, तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। अगर एक पार्टी अध्यक्ष को बुलावे का इंतज़ार करना पड़े, तो यह बेहद निराशाजनक है।”
इस हार के बाद कांग्रेस में अंदरूनी मतभेद एक बार फिर सतह पर आ गए हैं और आने वाले समय में पार्टी को अपनी रणनीति और संगठनात्मक ढांचे पर गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा।

Author: Harsh Sharma
Journalist