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उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ पुलिस का एक्शन एक बार फिर तेज हो गया है। बीते 24 घंटों के भीतर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कुल 5 एनकाउंटर किए गए हैं। ये एनकाउंटर बदायूं, मेरठ, उन्नाव और वाराणसी जैसे जिलों में हुए। इस दौरान पुलिस ने 10 अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जबकि 5 को गोली उनकी टांग में मारी गई है। हालांकि, पुलिस की इस कार्यशैली को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं।
एनकाउंटर पर उठे सवाल
बदायूं में शुक्रवार देर रात उसैहाट थाना क्षेत्र में एक एनकाउंटर हुआ, जिसमें कादिर नामक अपराधी को पुलिस ने पकड़ा और उसकी टांग में गोली मारी गई। पुलिस के मुताबिक, कादिर पर 13 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और वह अपराध करने की कोशिश में था। वहीं आरोपी का दावा है कि उसे पहले किसी और जगह से उठाया गया और फिर गोली मारी गई। इस मामले को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
मेरठ में इसलामुद्दीन को पकड़ा
दूसरा एनकाउंटर मेरठ में हुआ, जहां पुलिस ने कुख्यात बदमाश इसलामुद्दीन उर्फ इस्लू को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार, इसलामुद्दीन पर तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। मुठभेड़ के दौरान उसकी टांग में गोली लगी और उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उन्नाव में लुटेरों से भिड़ंत, तीन फरार
उन्नाव जिले में महिला से लूट की वारदात को अंजाम देने वाले पांच बदमाशों से पुलिस की मुठभेड़ हुई। इस दौरान पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि तीन बदमाश अंधेरे का फायदा उठाकर जंगल में फरार हो गए। यह कार्रवाई SOG, निगरानी टीम और सोहरामऊ थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने की थी। पकड़े गए दोनों बदमाशों की टांग में गोली लगी है।
6 साल की बच्ची से रेप और हत्या के आरोपी को गोली
उन्नाव में शुक्रवार देर रात दो मुठभेड़ हुईं। एक केस में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया था। बच्ची की लाश नहर से बरामद हुई थी। पुलिस ने इस मामले में आरोपी को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया है, जिसकी टांग में गोली लगी है। एसपी दीपक भूकर के निर्देश पर इस केस को हल करने के लिए SOG और निगरानी टीम समेत कुल तीन टीमें लगाई गई थीं।

पुलिस की “घुटने में गोली” नीति पर सवाल
हालांकि इन तमाम मामलों में एक बात समान है—हर मुठभेड़ में बदमाश की गोली टांग में ही लगती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यूपी पुलिस की यह रणनीति संदेह के घेरे में है, क्योंकि यह पैटर्न बार-बार दोहराया जा रहा है। ऐसे में पुलिस की मंशा और कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाज़मी है।
यूपी पुलिस भले ही इसे अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई बता रही हो, लेकिन एनकाउंटर की पारदर्शिता और कानून की सीमा को लेकर बहस फिर से तेज हो गई है।

Author: Harsh Sharma
Journalist