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पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के एक मामले में आखिरकार इंसाफ मिल गया है। यह पहला मौका है जब चुनाव बाद हिंसा (पोस्ट पोल वायलेंस) से जुड़े किसी मामले में सीबीआई की जांच के बाद सजा सुनाई गई है। मामला एक नाबालिग लड़की से बलात्कार का है, जिसमें आरोपी को दोषी ठहराया गया है।
क्या है पूरा मामला?
2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई को आए थे। इसके बाद राज्य के कई हिस्सों में हिंसा भड़की थी। इस दौरान हत्या, बलात्कार और बलात्कार की कोशिश जैसे गंभीर अपराध हुए। इन घटनाओं के बाद पूरे राज्य में कोहराम मच गया था। लोगों ने इस हिंसा के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर कीं थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इन घटनाओं पर सख्ती दिखाई। इसके बाद हाई कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 19 अगस्त 2021 को आदेश दिया कि हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध, खासकर बलात्कार जैसे मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।
सीबीआई ने कैसे की जांच?
हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। देश भर से चुने हुए अफसरों की विशेष टीमें बनाई गईं। इन टीमों ने हिंसा से जुड़े मामलों की गहन जांच की और ज्यादातर मामलों में चार्जशीट दायर हुई। सुनवाई को तेज करने के लिए सीबीआई ने खास वकील भी नियुक्त किए थे।
9 साल की बच्ची के साथ रेप
ऐसा ही एक मामला मालदा जिले के मानिकचक थाने से जुड़ा था, जिसमें नौ साल की एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार हुआ था। जांच में सामने आया कि 4 जून 2021 की शाम को मालदा के एक सरकारी स्कूल से रिटायर्ड शिक्षक रफीकुल इस्लाम उर्फ भेलू ने नौ साल की एक मासूम लड़की के साथ बलात्कार किया। यह घटना तब हुई जब पीड़िता आरोपी के आम के बगीचे में खेल रही थी। इस घटना को पीड़िता के चचेरे भाई ने देख लिया था। कोर्ट में पीड़िता और चश्मदीद दोनों ने अपनी गवाही में पूरी घटनाक्रम को को साफ-साफ बताया। उनकी गवाही इतनी मजबूत थी कि कोर्ट को फैसला सुनाने में कोई शक नहीं रहा।

कोर्ट ने सुना दिया फैसला
मालदा की पॉक्सो कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 2 जुलाई 2025 को सुनवाई पूरी होने के बाद रफीकुल इस्लाम उर्फ भेलू को दोषी करार दिया। उसे पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 एबी के तहत सजा सुनाई गई। यह धाराएं 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए बहुत सख्त सजा का प्रावधान करती हैं। सजा का ऐलान 4 जुलाई 2025 को होने की उम्मीद है। यह चुनाव के बाद की हिंसा का पहला मामला है जिसमें सुनवाई पूरी हो गई है और दोषी को सजा भी हुई है। सजा 4 जुलाई 2025 को सुनाए जाने की संभावना है। अगर इसी तरह सीबीआई अपने सभी मामले में तेजी दिखाई तो बहुत सारे मामले में फैसले जल्दी हो सकते हैं। जिससे वह सभी लोगों को सजा मिल सकती हैं, जिन्हें लगता था कि ममता के राज में हिंसा करेंगे तो उन्हें कुछ नहीं होगा।

Author: Harsh Sharma
Journalist