नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। कथित आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा रहा है। पिछले 26 वर्षों से फरार चल रही मोनिका कपूर को सीबीआई की एक टीम ने अमेरिका में हिरासत में लिया और बुधवार रात तक उसे भारत लाया जाएगा। इसे भारत की जांच एजेंसियों की एक अहम उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, मोनिका कपूर को न्यूयॉर्क स्थित यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट) द्वारा भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत भेजने की मंजूरी दी गई थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोनिका के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि भारत में उसे प्रताड़ना का सामना करना पड़ सकता है। कोर्ट ने माना कि यह संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन के उल्लंघन का मामला नहीं बनता।
मोनिका कपूर पर 1999 में अपने भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर ज्वेलरी कारोबार में फर्जी दस्तावेजों के जरिए कच्चे माल के शुल्क-मुक्त आयात के लिए लाइसेंस लेने का आरोप है। इस धोखाधड़ी से भारत सरकार को करीब 5.7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
मोनिका दिल्ली स्थित ओवरसीज नाम की कंपनी की मालकिन है। जांच के अनुसार, फर्जी शिपिंग बिल, चालान और बैंक सर्टिफिकेट बनवाकर इन लोगों ने सरकार से ड्यूटी-फ्री गोल्ड आयात करने के लिए छह लाइसेंस प्राप्त किए, जिनकी कीमत 2.36 करोड़ रुपये थी। बाद में इन लाइसेंसों को गुजरात की दीप एक्सपोर्ट्स कंपनी को ऊंचे दामों पर बेच दिया गया, जिससे सरकार को 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
CBI ने 31 मार्च 2004 को चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 2017 में मोनिका के दोनों भाइयों को दोषी करार दे दिया। लेकिन मोनिका जांच में शामिल नहीं हुई और 2006 में कोर्ट ने उसे घोषित अपराधी घोषित कर दिया था। 2010 में उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट और रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था।
CBI ने 19 अक्टूबर 2010 को अमेरिका से प्रत्यर्पण का औपचारिक अनुरोध किया था। कई वर्षों की कानूनी प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय समन्वय के बाद अब जाकर मोनिका कपूर को भारत लाया जा रहा है। यह भारत की एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
