चंडीगढ़: पंजाब में फर्जी ट्रैवल और इमिग्रेशन एजेंटों की ठगी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। खासकर चंडीगढ़ इस मामले में गढ़ बनता जा रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, केवल आठ महीनों में ही 100 से अधिक इमिग्रेशन फ्रॉड के केस दर्ज हो चुके हैं।
सबसे ज्यादा मामले सेक्टर-17 से जुड़े हैं, जहां 50 से अधिक शिकायतें सामने आईं। जांच में पता चला है कि ये एजेंट युवाओं को नौकरी, स्टडी वीजा या पीआर दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये ऐंठ लेते हैं। शुरुआत में फर्जी जॉब ऑफर लेटर देकर लोगों को फंसाया जाता है और जब पीड़ितों को सच्चाई का एहसास होता है, तब तक एजेंट दफ्तर बंद कर फरार हो जाते हैं।
पुलिस ने दो महीने पहले बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर कई अवैध कंपनियों को सील भी किया था, लेकिन कुछ समय बाद वे फिर से चालू हो गईं। रिकॉर्ड के मुताबिक, बहुत कम कंपनियां ही वास्तव में रजिस्टर्ड हैं जबकि बड़ी संख्या में बिना अनुमति के दफ्तर चलाए जा रहे हैं।चंडीगढ़ पुलिस लगातार लोगों को सतर्क रहने की अपील कर रही है। पुलिस का कहना है कि केवल गृह मंत्रालय से मान्यता प्राप्त एजेंटों से ही संपर्क करें, नकद लेन-देन न करें, दस्तावेजों की जांच अवश्य करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।
पंजाब में भी बढ़ी ठगी
केवल चंडीगढ़ ही नहीं, बल्कि जालंधर, अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, बठिंडा और अन्य जिलों में भी ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं। आरोप है कि कुछ राजनीतिक नेताओं और पुलिस अधिकारियों के संरक्षण के कारण ठग एजेंटों पर कार्रवाई अधूरी रह जाती है। नतीजतन, पीड़ितों को न्याय की बजाय और अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है।
