वन्दे भारत 24 : जालंधर। पंजाब राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन जतिंदर उर्फ गौरव मसीह की नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया है। इस नियुक्ति को लेकर जालंधर के आरटीआई एक्टिविस्ट और एडवोकेट सिमरनजीत सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति करते समय कानून और नियमों की अनदेखी की गई है। उनका आरोप है कि इस पद के लिए आवश्यक योग्यता, अनुभव, ईमानदारी और प्रतिष्ठा को दरकिनार कर दिया गया।
एडवोकेट सिमरनजीत सिंह ने तर्क दिया कि जतिंदर मसीह न तो अल्पसंख्यक समुदाय के कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और न ही उनके पास आवश्यक शैक्षिक योग्यता है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पास स्नातक की डिग्री तक नहीं है और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए उनका कोई उल्लेखनीय योगदान भी सामने नहीं आया है। ऐसे में वह इस पद के लिए अयोग्य हैं।
याचिका में यह भी कहा गया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करते समय पात्रता और चरित्र का गहन परीक्षण जरूरी है, लेकिन इस मामले में पूरी तरह से नियमों की अनदेखी कर नियुक्ति की गई है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जतिंदर मसीह के खिलाफ पहले एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है। साथ ही, उन्होंने अपने निजी वाहन (स्कॉर्पियो नंबर PB08-DS-0693) पर पंजाब पुलिस का प्रतीक चिन्ह और लाल-नीली बत्ती का दुरुपयोग किया था।
याचिका में मांग की गई है कि आयोग की गरिमा और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए नियुक्तियों में ईमानदारी और योग्यता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और इस मामले की गहन जांच हो।
