
अमरनाथ यात्रा एक जुलाई से शुरू हुई। 31 अगस्त तक चलेगी। लेकिन दौरान कई प्राकृतिक हादसे भी हो रहे हैं। अमरनाथ यात्रा पर निकली एक महिला की प्राकृतिक रूप से गिरने वाले पत्थरों की चपेट में आने से मौत हो गई।
महिला को बचाने की कोशिश करने वाले जम्मू-कश्मीर पुलिस की माउंटेन रेस्क्यू टीम के दो अन्य सदस्य भी गंभीर रूप से घायल हो गए। यात्रा ड्यूटी पर तैनात घायल पुलिस कर्मियों को सेना और निजी हेलीकॉप्टर से निकाला गया।

इसके अलावा पिछले 36 घंटों में 5 अमरनाथ यात्रियों की मौत हो गई, जिससे इस साल की अमरनाथ तीर्थयात्रा के दौरान मरने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 24 हो गई है। अधिकारियों ने कहा कि इनमें से अधिकतर मौतें ऊंचाई पर होने वाली बीमारी के कारण हुईं, जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी हुई और उसके बाद हृदय गति रुक गई।
अधिकारियों ने बताया कि पांच मौतों में से चार पहलगाम मार्ग पर हुईं जबकि एक बालटाल मार्ग पर दर्ज की गई। पीड़ितों में एक आईटीबीपी अधिकारी भी शामिल है जिसकी यात्रा ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। पीड़ित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात से थे।
एक्सपर्ट्स ने कहा है कि ऊंचाई पर स्थित स्थानों में ऑक्सीजन की कमी होती है। इसके साथ ही थकावट और अस्वस्थ फेफड़े अक्सर मृत्यु का कारण बनते हैं।
अमरनाथ गुफा मंदिर समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित है। इसकी वजह से अधिकारियों ने यात्रियों के लिए स्थापित मुफ्त रसोई (लंगर) में सभी जंक फूड पर प्रतिबंध लगा दिया है। परांठे, पूड़ी, मिठाई और कोल्ड ड्रिंक समेत सभी हलवाई आइटम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यात्रा के आधार और पारगमन शिविरों के अंदर और आसपास सिगरेट की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस वर्ष की 62 दिवसीय लंबी यात्रा 1 जुलाई को शुरू हुई, 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा उत्सव के साथ समाप्त होगी।













































































