वन्दे भारत 24: चतरा। झारखंड के चतरा ज़िले के कुंदा प्रखंड से मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। शुक्रवार को लुकुइया गाँव में प्रसव पीड़ा से तड़प रही एक गर्भवती महिला को उसके परिजनों ने सड़क और पुल न होने के कारण खाट पर लिटाकर तीन किलोमीटर पैदल अस्पताल तक पहुँचाया।
जानकारी के अनुसार, अरविंद गंझू की पत्नी भीखी देवी को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने तुरंत ममता वाहन बुलाया, लेकिन गाँव तक सड़क न होने के कारण वाहन बीच रास्ते में ही रुक गया। गाँव से बाहर निकलते ही टेढ़ा पन्ना और मोहन नाम की दो नदियाँ पड़ती हैं, जिन पर अब तक पुल नहीं बन पाया है। बरसात के दिनों में इन नदियों में तेज़ बहाव के चलते पूरा गाँव टापू बन जाता है।
मजबूरी में परिजनों ने भीखी देवी को खाट पर लिटाया और पगडंडी वाले रास्ते से तीन किलोमीटर तक पैदल चलकर गाँव के बाहर तक लाए। महिला इस दौरान दर्द से कराहती रही। गाँव की सीमा के बाहर पहुँचने के बाद ही ममता वाहन उपलब्ध हो सका, जिसके ज़रिए उन्हें नकड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।
लुकुइया गाँव अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र है, जहाँ करीब 300 की आबादी रहती है। लेकिन आज भी यहाँ सड़क, पुल और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के मौसम में मरीजों और गर्भवती महिलाओं को बाहर ले जाना सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है।
ग्रामीण अरविंद गंझू ने बताया कि “हर दो-चार दिन में किसी न किसी मरीज को खाट या पालकी पर ढोकर बाहर ले जाना पड़ता है।” ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा कि जब तक दोनों नदियों पर पुल का निर्माण नहीं होगा, तब तक उनकी समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है।
