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12 बजे जैसे ही सूर्य की किरणें पड़ीं रामलला के ललाट पर. पूरा अयोध्या झूम उठा

April 8, 2025 9:43 pm

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जब इतिहास और आस्था एक बिंदु पर मिलते हैं, तब जन्म होता है एक अद्वितीय क्षण का। रविवार, 6 अप्रैल को अयोध्या में ऐसा ही एक ऐतिहासिक दृश्य सामने आया जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामनवमी के अवसर पर प्रभु श्रीरामलला का सूर्य तिलक सम्पन्न हुआ।दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणें उनके ललाट पर पड़ीं, मानो स्वयं सूर्यदेव ने उन्हें प्रणाम किया हो।

रामनवमी के पावन अवसर पर श्रीरामलला की पूजा-अर्चना भोर से ही आरंभ हो गई थी। जैसे-जैसे समय दोपहर की ओर बढ़ा, श्रद्धालुओं का सैलाब राम मंदिर की ओर उमड़ता गया। दोपहर 12 बजे के करीब वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से तय की गई दिशा से सूर्य की सीधी किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ीं। यह क्षण श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विज्ञान के अद्भुत समागम का प्रतीक बना।

हनुमानगढ़ी के महंत ने बताया अद्भुत और अलौकिक

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हनुमानगढ़ी के महंत संजय दास ने इस दृश्य को दिव्य और ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, “भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे। जब उनका जन्म हुआ, तब एक महीने तक सूर्यदेव ने स्वयं उनकी लीला देखी थी। आज का सूर्य तिलक उसी परंपरा की पुनरावृत्ति है, और यह चार मिनट का क्षण समस्त सनातन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्व रखता है।” महंत संजय दास ने यह भी कहा कि जैसे भगवान इस क्षण की प्रतीक्षा करते हैं, वैसे ही समस्त श्रद्धालु भी इस पावन दृश्य के साक्षी बनने को आतुर रहते हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों और प्रशासन की सराहना की जो इस आयोजन को सटीक और भव्य रूप दे सके।

वैज्ञानिकों की सटीक गणना से सफल हुआ सूर्य तिलक

इस आयोजन की सफलता में आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की बड़ी भूमिका रही। वर्षों की तैयारी और गणना के बाद उन्होंने मंदिर में ऐसे उपकरण लगाए, जिससे सूर्य की सीधी किरणें ठीक समय पर रामलला के ललाट पर पड़ सकें। यह आयोजन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी एक मिसाल बन गया।

इस सूर्य तिलक का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया गया, जिससे देशभर के श्रद्धालु इस ऐतिहासिक दृश्य के साक्षी बन सके। साथ ही अयोध्या समेत विभिन्न शहरों में बड़ी-बड़ी LED स्क्रीन लगाकर भी लाइव टेलीकास्ट किया गया। प्रशासन के मुताबिक, करीब 4 लाख श्रद्धालुओं ने रामनवमी के इस अवसर पर अयोध्या में दर्शन किए।

दर्शन व्यवस्था और कार्यक्रम का शेड्यूल

रामनवमी के दिन मंदिर के दर्शन समय में विशेष बदलाव किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत रामचरितमानस के पाठ और सुंदरकांड से हुई, इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। सूर्य तिलक से पहले रामलला की विशेष पूजा संपन्न हुई। यह भी उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी को हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह दूसरा अवसर था जब सूर्याभिषेक सम्पन्न हुआ।

Harsh Sharma
Author: Harsh Sharma

Journalist

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