‘No-Detention Policy’ का समाप्त होना: केंद्र सरकार ने बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) नियम, 2010 में बड़ा संशोधन किया है। इसके तहत ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया गया है। अब कक्षा 5 और 8 के वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि, फेल छात्रों को दो महीने के भीतर फिर से परीक्षा देने का मौका मिलेगा। अगर वे दूसरी बार भी फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रोमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि, कक्षा 8 तक किसी भी छात्र को स्कूल से निकालने की अनुमति नहीं होगी।
शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा कि यह कदम बच्चों की पढ़ाई के स्तर को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है। नए नियमों का उद्देश्य छात्रों के सीखने के स्तर को बेहतर बनाना है।
The Union Education Ministry has taken a big decision and abolished the 'No Detention Policy'.
— DD News (@DDNewslive) December 23, 2024
Students who fail the annual examination in classes 5 and 8 will be failed. Failed students will have a chance to retake the test within two months, but if they fail again, they will… pic.twitter.com/MK8MC1iJ0a
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त करने का विरोध और समर्थन: गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और दिल्ली जैसे कई राज्यों ने इसे लागू करने का निर्णय लिया है। वहीं, केरल जैसे कुछ राज्यों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। केरल का मानना है कि नियमित परीक्षा से छात्रों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे ड्रॉपआउट दर में वृद्धि हो सकती है। उनका तर्क है कि बच्चों पर दबाव डालने की बजाय शिक्षकों के प्रशिक्षण और कमजोर छात्रों को अतिरिक्त सहायता देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
पॉलिसी में बदलाव की वजह: 2009 में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ का उद्देश्य यह था कि कोई भी बच्चा, विशेष रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले, परीक्षा में फेल होने की वजह से पढ़ाई न छोड़े। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इस नीति से छात्रों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता कम हो गई। छात्रों को बिना पर्याप्त ज्ञान के अगली कक्षा में भेजा जाता रहा, जिससे वे उच्च स्तर की परीक्षाओं में असफल हो रहे थे।
