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बाल श्रम की सच्चाई: बचपन के नाम पर ज़िंदगी का सौदा, एक साल में भारत में रेस्क्यू किए गए 45000 बच्चे

June 28, 2025 7:37 pm

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Vande Bharat 24 Exclusive

भारत में लाखों बच्चे आज भी स्कूल की जगह फैक्ट्रियों और होटलों में काम करने को मजबूर हैं। ये बच्चे सुबह पढ़ने नहीं, बल्कि बर्तन धोने, कपड़े बुनने और दूसरे काम करने के लिए उठते हैं।

इन बच्चों में से कई तो तस्करी करके दूर-दराज के इलाकों में लाए जाते हैं।

भारत में फिलहाल करीब 10.1 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं। 2001 से 2011 के बीच इनमें 2.6 मिलियन की कमी आई, लेकिन यह गिरावट केवल ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिली, जहां आंकड़े 11.4 मिलियन से घटकर 8.1 मिलियन हो गए।वहीं, शहरी क्षेत्रों में स्थिति उलटी रही – यहां बाल श्रम बढ़ा है, और संख्या 1.3 मिलियन से बढ़कर 2 मिलियन पहुंच गई।

अपराध के आंकड़े

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच बाल श्रम से जुड़े मामलों में 44% की वृद्धि हुई है – 810 से बढ़कर 1,169 तक हो गया है। चाइल्ड लेबर एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर में भी 66% की वृद्धि दर्ज की गई – ये 464 से बढ़कर 751 हो गए हैं।

बचाव अभियान और आंकड़े

2024-25 में, ‘Access to Justice for Children’ प्रोग्राम के तहत, 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 27,000 से ज्यादा बचाव अभियान चलाए गए। इन अभियानों में 44,902 बच्चों को अलग-अलग शोषण से बचाया गया।

India Child Protection द्वारा प्रकाशित ‘Building the Case for Zero’ रिपोर्ट के अनुसार, 40,414 बच्चे बाल श्रम से, 2,971 बच्चे यौन शोषण, और 1,517 बच्चे संगठित भीख मंगवाने वाले रैकेट से छुड़ाए गए। इनके अलावा 8,749 लापता बच्चों को भी खोजा गया।

राज्यवार आंकड़े

सबसे ज्यादा बाल श्रमिकों को तेलंगाना से बचाया गया – यहां इसके 11,000 से अधिक मामले सामने आए। इसके बाद बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश का स्थान रहा। यौन शोषण के मामलों में पश्चिम बंगाल ने सबसे ज्यादा – 1,000 से अधिक बच्चों को छुड़ाया, जबकि हरियाणा और महाराष्ट्र में भीख मंगवाने वाले मामलों में बचाव किया जा सका।

कानूनी कार्रवाई

इन बचाव अभियानों के बाद 27,320 मामलों में से 9,595 एफआईआर दर्ज की गईं और 6,959 मामलों को जनरल डायरी में लिखा गया। रिपोर्ट के अनुसार, 92% जीडी केस बाद में एफआईआर में बदल दिए जाते हैं।

कुल मिलाकर 5,809 लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिनमें 85% बाल श्रम से जुड़े थे। तेलंगाना में सबसे ज्यादा 2,247 गिरफ्तारियां की गईं, इसके बाद बिहार, राजस्थान और असम में गिरफ्तारियां हुईं। हालांकि, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में गिरफ्तारी की संख्या काफी कम रही, जो क्रमश: 167 और 93 तक रहा।

वैश्विक हालात

2015 में, भारत समेत 193 देशों ने संयुक्त राष्ट्र के SDG 8.7 के तहत 2025 तक बाल श्रम, आधुनिक गुलामी और मानव तस्करी को खत्म करने का संकल्प लिया था। बावजूद इसके, आईएलओ (2025) की रिपोर्ट बताती है कि आज भी 138 मिलियन बच्चे बाल श्रम में हैं, जिनमें 54 मिलियन खतरनाक कामों में लगे हुए हैं।

Harsh Sharma
Author: Harsh Sharma

Journalist

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