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अमेरिका द्वारा किए गए हमले के बाद ईरान में तनाव और डर का माहौल है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि ईरानी संसद ने दुनिया के सबसे अहम तेल मार्गों में से एक “होरमुज़ जलडमरूमध्य” को बंद करने की मंजूरी दे दी है। यह वही समुद्री मार्ग है, जहां से दुनिया का करीब 20 प्रतिशत कच्चा तेल होकर गुजरता है।
इस फैसले के बाद दुनियाभर में यह आशंका जताई जा रही है कि कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ेंगी और इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा।
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भारत पर असर नहीं पड़ेगा: केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच भारत भी ईरान के इस फैसले पर नजर बनाए हुए है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बयान दिया है कि “भारत के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त तेल भंडार और आपूर्ति की व्यवस्था है। इसलिए अभी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर इसका कोई असर नहीं होगा।”
हालांकि उन्होंने यह भी माना कि “अगर यह संकट लंबा चला, तो भारत समेत पूरी दुनिया में महंगाई का दबाव बन सकता है।”
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🇺🇸 अमेरिका ने की चीन से अपील – ईरान को मनाओ
इस घटनाक्रम के बीच अमेरिका भी सक्रिय हो गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने चीन से अपील की है कि वह ईरान को होरमुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने से रोके।
“चीन अपने तेल आयात के लिए होरमुज़ जलडमरूमध्य पर अत्यधिक निर्भर है। अगर ईरान इस मार्ग को बंद करता है, तो यह उसकी सबसे बड़ी गलती होगी और अपने लिए आर्थिक आत्महत्या जैसा कदम होगा।”
रूबियो ने आगे कहा कि अमेरिका के पास इससे निपटने के विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अन्य देशों को भी इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। “होरमुज़ को बंद करना एक ऐसा कदम होगा, जिसका जवाब अमेरिका और अन्य देश अवश्य देंगे।”
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क्या है होरमुज़ जलडमरूमध्य?
होरमुज़ जलडमरूमध्य एक रणनीतिक रूप से बेहद अहम समुद्री रास्ता है, जो पर्शियन गल्फ को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है। यह मार्ग सऊदी अरब, इराक, ईरान, कुवैत और यूएई जैसे देशों के तेल निर्यात का मुख्य जरिया है।
ईरान का यह कदम सिर्फ एक क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक संकट को जन्म दे सकता है। जहां भारत जैसे देश अभी संतुलन बनाए हुए हैं, वहीं आने वाले समय में स्थिति कैसे बदलती है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

Author: Harsh Sharma
Journalist