वंदे भारत (हर्ष शर्मा) जालंधर के गुजराल नगर में दो माह पहले वकील गुरमोहर सिंह के घर पर हुई फायरिंग मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। घटना के बाद वकील ने आरोप लगाया था कि रिटायर्ड जज किशोर कुमार, रिटायर्ड तहसीलदार मनोहर लाल और एनआरआई बलराज पाल दोसांझ और उनके बेटे लतिंदर सिंह ने उस पर हमला करवाया।
अब मामले में नया मोड़ तब आया जब एनआरआई पुलिस ने उसी परिवार की शिकायत के आधार पर एडवोकेट गुरमोहन सिंह और उनके एनआरआई मित्र अमरप्रीत औलख पर फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में मामला दर्ज किया। शिकायतकर्ता एनआरआई महिला बलराज पाल दोसांझ ने दावा किया कि उनके दिवंगत पति रघुबीर सिंह दोसांझ की संपत्ति को हड़पने की कोशिश की गई।
महिला ने आरोप लगाया कि अमरप्रीत औलख, जो कभी उनके दामाद थे, और वकील गुरमोहन सिंह ने मिलकर उनकी जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाए। एनआरआई विंग की जांच में पाया गया कि 3.5 एकड़ जमीन का दस्तावेज, जिसे अमरप्रीत ने पेश किया था, फर्जी था। इस मामले में गुरमोहन सिंह के सहायक सर्बजीत सिंह के दस्तावेज पर गवाह के रूप में हस्ताक्षर करवाए गए थे, जबकि सर्बजीत ने कहा कि उनके सामने न तो सौदा हुआ और न ही पैसे का लेनदेन।
जांच के बाद एनआरआई पुलिस ने दोनों पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और षड्यंत्र की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। जांच में सामने आया कि रघुबीर दोसांझ ने 2009 में अपनी 16 एकड़ जमीन की वसीयत अपनी पत्नी बलराज पाल, बेटे लतिंदर और बेटी निशवंत के नाम कर दी थी, जिसमें वकील गुरमोहन सिंह गवाह थे।
निशवंत की शादी 2003 में अमरप्रीत औलख से हुई थी, लेकिन 2015 में दोनों अलग हो गए और 2019 में तलाक हो गया। इसके बाद रघुबीर दोसांझ ने अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री पत्नी के नाम कर दी। हालांकि, अमरप्रीत और गुरमोहन सिंह ने दावा किया कि रघुबीर ने उनसे 40 लाख रुपये में 3.5 एकड़ जमीन का सौदा किया था। लेकिन अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया।
Author: Harsh Sharma
Journalist