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That right hand man of Rahul Gandhi, under whose power Congress lost 33 elections.

July 8, 2025 7:42 pm

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राहुल गांधी का वो राइट हैंड

जिसके पावर में रहते 33 चुनाव हारी कांग्रेस

वंदे भारत (हर्ष शर्मा) हरियाणा के चुनावी दंगल में चित होने के बाद कांग्रेस के भीतर उठापटक मची हुई है। दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक हार के लिए जिम्मेदार नेताओं की खोजा जा रहा है. इन सबके बीच कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल सुर्खियों में हैं.केसी वेणुगोपाल के संगठन महासचिव बनने के बाद हरियाणा 33वां राज्य है, जहां पर कांग्रेस चुनाव हारी है.कांग्रेस के कद्दावर नेता रणदीप सुरजेवाला ने हार के बाद इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा है कि केसी वेणुगोपाल से लेकर हर उन नेताओं की जिम्मेदारी तय हो, जो वर्षों से पद पर बने हुए हैं।

2019 में संगठन महासचिव बने थे वेणुगोपाल

जनवरी 2019 में अशोक गहलोत की जगह कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल को संगठन महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी थी।वेणुगोपाल तब से इस पद पर काबिज हैं। कांग्रेस में अध्यक्ष के बाद संगठन महासचिव को सबसे पावरफुल माना जाता है। संगठन महासचिव ही सभी तरह की नियुक्तियों के बारे में जानकारी देते हैं.कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से लेकर उम्मीदवारों के नाम तय करने में संगठन महासचिव की बड़ी भूमिका होती है. इस पद पर जनार्दन द्विवेदी और अशोक गहलोत जैसे दिग्गज नेता रह चुके हैं.इतना ही नहीं, 2022 में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी इसी पद की मांग की थी, जिसे कांग्रेस ने देने से इनकार कर दिया था।

वेणुगोपाल के रहते 30 से ज्यादा चुनाव हारी कांग्रेस

वेणुगोपाल के संगठन महासचिव रहते लोकसभा के 2 और विधानसभा के 34 चुनाव हो चुके हैं। इनमें से सिर्फ 3 चुनाव (कर्नाटक-2023, तेलंगाना-2023 और हिमाचल-2022) में ही कांग्रेस जीत दर्ज कर पाई। दिलचस्प बात है कि वेणुगोपाल के गृह राज्य केरल में भी 2021 में कांग्रेस बुरी तरह हार गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में तो वेणुगोपाल की परंपरागत सीट भी कांग्रेस हार गई थी. हालांकि, 2024 में वेणुगोपाल इस सीट से खुद जीतकर सदन पहुंच गए.वेणुगोपाल के रहते कांग्रेस पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की सत्ता नहीं बचा पाई. इतना ही नहीं, पार्टी ओडिशा, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बंगाल जैसे राज्यों में पूरी तरफ साफ हो गई है.गुजरात, बिहार और असम जैसे राज्यों में पार्टी पहले के मुकाबले कमजोर हुई है।2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की संख्या में जरूर बढ़ोतरी हुई है, लेकिन वो संख्या 2009 और 2004 से काफी कम है।

केसी संगठन महामंत्री पर 4 राज्यों में संगठन नहीं

केसी वेणुगोपाल का काम संगठन तैयार करना भी है, लेकिन ओडिशा, बंगाल, हरियाणा और दिल्ली जैसे जगहों पर कांग्रेस के पास जमीन पर संगठन नहीं है। दिल्ली में अभी भी अंतरिम अध्यक्ष के भरोसे ही पार्टी चल रही है। यहां पर 4 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। बंगाल में लंबे वक्त से जिला और ब्लॉक कमेटी का गठन नहीं हो पाया है। यही हाल ओडिशा और हरियाणा में है। ओडिशा में संगठन न होने की वजह से कांग्रेस दूसरे से तीसरे नंबर की पार्टी हो गई है। इतना ही नहीं, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा,पंजाब, कर्नाटक जैसे राज्यों में कई मौकों पर खुलकर कांग्रेस की गुटबाजी सामने आ चुकी है, लेकिन इन राज्यों में अब तक इस पर कंट्रोल नहीं किया गया है।

वेणुगोपाल पर लागू नहीं हुआ उदयपुर डिक्लेरेशन

2022 में यूपी, पंजाब और उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस ने राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर का आयोजन किया। 3 दिन तक चिंतन करने के बाद कांग्रेस ने एक डिक्लेरेशन की घोषणा की। इसे कांग्रेस का उदयपुर डिक्लेरेशन के नाम से जाना जाता है। इस डिक्लेरेशन में एक पद, एक व्यक्ति समेत कई नियम लागू किए गए थे। उदयपुर डिक्लेरेशन में कहा गया था कि एक व्यक्ति एक पद पर 5 साल से ज्यादा वक्त तक नहीं रह सकता है.उदयपुर डिक्लेरेशन का यह फॉर्मूला अब तक केसी वेणुगोपाल पर लागू नहीं हुआ है। वेणुगोपाल 5 साल 9 महीने से संगठन महासचिव के पद पर हैं।

राष्ट्रीय राजनीति में कैसे आए केसी वेणुगोपाल?

केरल के रहने वाले केसी वेणुगोपाल 2017 में पहली बार सुर्खियों में आए। 2017 में कांग्रेस ने चर्चित नेता दिग्विजय सिंह को हटाकर केसी को कर्नाटक कांग्रेस का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया था.केसी वेणुगोपाल के संगठन महासचिव बनने के बाद हरियाणा 33वां राज्य है, जहां पर कांग्रेस चुनाव हारी है।

कांग्रेस के कद्दावर नेता रणदीप सुरजेवाला ने हार के बाद इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा है कि केसी वेणुगोपाल से लेकर हर उन नेताओं की जिम्मेदारी तय हो, जो वर्षों से पद पर बने हुए हैं।

वेणुगोपाल को राहुल गांधी का करीबी नेता माना जाता है। 2019 में हार के राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन केसी अपने पद पर बने रहे। सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यकाल में भी वे इसी पद पर रहे।

केसी वेणुगोपाल की कार्यशैली पर कांग्रेस के भीतर बनी जी-23 ग्रुप ने सवाल उठाया था. जी-23 ग्रुप के सदस्यों का कहना था कि वेणुगोपाल मनमर्जी से पार्टी चला रहे हैं।

Harsh Sharma
Author: Harsh Sharma

Journalist

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