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पंजाब में 22 नेशनल हाईवे परियोजनाएं लटकी

January 4, 2025 1:28 am

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Chandigarh-चंडीगढ़: पंजाब में चल रही राष्टÑीय हाईवे परियोजनाओं की धीमी गति से केंद्र सरकार परेशान है।दरअसल देश के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने वाली इन 38 सड़क परियोजनाओं में से मात्र 16 पर ही संतोषजनक गति से कार्य हो पा रहा है। जबकि 22 की गति बहुत ही ज्यादा धीमी है। या फिर इन पर वर्तमान में कार्य नहीं हो रहा है। भूमि संबंधित विवाद नेशनल हाईवे परियोजनाओं में बड़ी बाधा बन रहे हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। मंत्रालय की तरफ से संसद में यह रिपोर्ट पेश की गई है।

तीन साल से चल रहा कार्य

तीन साल में राज्य को 38 नेशनल हाईवे परियोजनाओं की सौगात मिली है। हालत यह है कि केवल 16 परियोजनाओं पर ही 50 फीसदी से अधिक काम हुआ है, जबकि 22 परियोजनाएं पर धीमी गति से काम चल रहा है। यहां तक कि लुधियाना-बठिंडा हाईवे परियोजना की लागत भी बढ़ गई है। साथ ही केंद्र ने प्रदेश की एक और नेशनल हाईवे परियोजना को रद्द कर दिया है।

इसके अनुसार पहले पंजाब की तीन परियोजनाओं को भूमि संबंधित विवादों के चलते रद्द कर दिया गया था, लेकिन अब एक और परियोजना रद्द कर दी गई है। इनमें खरड़ तक बनने वाला लुधियाना-रूपनगर हाईवे, सदर्न लुधियाना बाईपास, अमृतसर-घोमान टांडा पैकेज-2 और दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा फेज-1 स्पर-2 शामिल हैं। 134.03 किलोमीटर लंबाई की ये चार परियोजनाओं को 4712.46 करोड़ रुपये में पूरा किया जाना था, लेकिन इनके रद्द होने से राज्य को एक बड़ा झटका लगा है।

भूमि विवाद बन रहा देरी का कारण

रिपोर्ट के अनुसार लुधियाना-बठिंडा प्रोजेक्ट को तीन फेज में पूरा किया जाना है। 30.3 किलोमीटर के पैकेज-1 के लिए 100 प्रतिशत भूमि का कब्जा लिया जा चुका है। 45.24 किलोमीटर के पैकेज-2 के लिए 92.04 प्रतिशत भूमि का कब्जा लिया गया है, जबकि 25.4 किलोमीटर के सदर्न लुधियाना बाईपास के लिए सिर्फ 88.9 प्रतिशत भूमि का ही कब्जा लिया जा सका है। मंत्रालय के अनुसार प्रोजेक्ट में देरी के कारण इसकी लागत बढ़ना तय है, लेकिन कारिडोर का काम पूरा होने के बाद ही पता लगाया जा सकेगा कि इसकी कास्ट कितनी बढ़ी है।

Harsh Sharma
Author: Harsh Sharma

Journalist

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