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पंजाब में आमदन से अधिक संपत्ति मामले को लेकर शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इस केस में विजिलेंस विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह को पूछताछ के लिए तलब किया था, जिनसे आज पूछताछ हुई और उन्होंने अपना बयान दर्ज करवाया।
निरंजन सिंह वही अधिकारी हैं जिन्होंने वर्ष 2014 में मजीठिया के खिलाफ ईडी जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनका नाम पुलिस की FIR में नहीं था, लेकिन आरोपियों से पूछताछ के दौरान उनका नाम सामने आया था। इसके बाद उन्होंने मामले के वित्तीय पहलुओं की भी जांच की थी।
बयान दर्ज कराने के बाद निरंजन सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने 6 हजार करोड़ रुपए के बहुचर्चित “भोला ड्रग केस” की जांच की थी, जिसमें 17 लोगों को दोषी ठहराया गया था। उस समय मजीठिया का नाम सीधे तौर पर सामने नहीं आया था, लेकिन जब आरोपी भोला और बिट्टू औलख से बयान लिए गए तो उनमें बिक्रम मजीठिया का जिक्र हुआ।
हालांकि, आज की पूछताछ ड्रग केस को लेकर नहीं, बल्कि मजीठिया की आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामले में हुई है। लेकिन चूंकि दोनों मामलों की जड़ें आपस में जुड़ी हुई हैं, इसलिए उन्हें बयान देने के लिए बुलाया गया। निरंजन सिंह ने विजिलेंस को वही जानकारियां दीं जो उन्होंने पहले ED की जांच में दी थीं।

उन्होंने बताया कि उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल की गई थी। कोर्ट ने इस आधार पर एसटीएफ को जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए थे। एसटीएफ ने भी अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। लेकिन उस समय की सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
आख़िरकार, निरंजन सिंह और एसटीएफ की रिपोर्टों के आधार पर साल 2021 में FIR दर्ज की गई और अब विजिलेंस ब्यूरो इस मामले की अगली जांच कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह पूरा मामला आपस में जुड़े कई पहलुओं से संबंधित है, और आने वाले समय में जांच और तेज हो सकती है।

Author: Harsh Sharma
Journalist