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पंजाब के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा मजीठिया को नशा तस्करी और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया गया है। अब इस मामले में नया मोड़ तब आया जब पंजाब पुलिस के पूर्व DGP सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने मीडिया के सामने आकर मजीठिया के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए।
पूर्व DGP ने दावा किया है कि बिक्रम मजीठिया के नशा तस्करों से सीधे संबंध थे और उनके पास इसके 100 प्रतिशत ठोस सबूत मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मजीठिया को नशा तस्करों के साथ मिलीभगत से आर्थिक लाभ हुआ था।
चट्टोपाध्याय ने स्पष्ट किया कि वह आज सिर्फ अपना बयान दर्ज कराने नहीं आए थे, बल्कि विजिलेंस को इस मामले की पूरी पृष्ठभूमि बताने आए थे। उन्होंने बताया कि जब 2021 में बिक्रम मजीठिया के खिलाफ केस दर्ज हुआ था, उस समय वह पंजाब के DGP थे और उन्होंने इस केस की निगरानी की थी।
पूर्व DGP ने कहा, “2021 में हमारे पास पहले से ही पक्के सबूत थे। आज भी सबूत मौजूद हैं। 2012-13 में भी मजीठिया के खिलाफ ठोस प्रमाण थे, लेकिन उस समय राज्य में अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार थी और मजीठिया मंत्री थे, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हुई।”

उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देश पर पुलिस और नशा तस्करों पर नजर रखने के लिए एक एसआईटी बनाई गई थी। उस एसआईटी ने तीन रिपोर्टें सौंपी थीं, जबकि उन्होंने खुद अलग से एक रिपोर्ट दी थी, जो अब तक बंद है।
चट्टोपाध्याय ने कहा कि कुछ लोग ऐसी संस्थाओं को बदनाम करने का काम करते हैं। पुलिस में भी कुछ ‘काली भेड़ें’ हैं जो आम लोगों का शोषण करती हैं।
पूर्व DGP ने बर्खास्त इंस्पेक्टर इंदरप्रीत का जिक्र करते हुए बताया कि उसके खिलाफ 15 जांचें चल रही थीं और 4 एफआईआर दर्ज थीं, फिर भी उसे चार बार प्रमोशन दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांस्टेबल रैंक के एक व्यक्ति को सीधे इंस्पेक्टर बनाया गया और भगोड़े AIG राजजीत ने नशे से ही पूरी संपत्ति बनाई।
यह बयान आने के बाद माना जा रहा है कि बिक्रम मजीठिया की कानूनी परेशानियां और बढ़ सकती हैं। अब देखना होगा कि विजिलेंस ब्यूरो इन नए बयानों को केस में किस तरह से शामिल करता है।

Author: Harsh Sharma
Journalist