वंदे भारत – अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान को काबिज हुए 2 साल हो गए हैं. अफगानिस्तान में तालिबानियों (Taliban Rule In Afghanistan) की क्रूरता की कई खबरें सामने आ चुकी हैं. अब खबर आ रही है कि तालिबान ने पूर्व सरकार के दौरान काम करने वाले 200 जजों और सुरक्षा बलों के अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया है.अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (United Nations Assistance Mission) के अनुसार, तालिबान द्वारा सबसे अधिक लक्षित समूह पूर्व सेना, पुलिस और खुफिया बल अधिकारी रहे हैं.

टाइम की रिपोर्ट के अनुसार, दो दशकों के युद्ध के बाद जब अमेरिकी और नाटो सैनिक देश से अपनी वापसी के अंतिम सप्ताह में थे, तब तालिबान पूरे अफगानिस्तान में फैल गए. तालिबान की बढ़त के सामने अमेरिका-प्रशिक्षित और समर्थित अफगान सेनाएं ढह गईं और पूर्व अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए.
देश के 34 प्रांतों में अमानवीयता के मामले
तालिबान ने कुछ को जेलों में कैद किया, प्रताड़ित किया और फिर हिरासत में ही मार दिया. ऐसे कई मामले हैं जहां हिरासत में लिए गए अधिकारियों को अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया और मार दिया गया. उनके शव इधर-उधर फेंक दिए गए. कुछ मामलों में शव परिजनों को भी सौंप दिए गए. सभी 34 प्रांतों में अमानवीय घटनाएं सामने आई हैं. यातना और दुर्व्यवहार के 144 से अधिक मामले हैं. 424 अधिकारियों की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी कर उन्हें नजरबंद किया गया.
मानवाधिकार उल्लंघन के 800 से अधिक मामले
इनमें से सबसे अधिक संख्या काबुल, कंधार और बल्ख प्रांतों में दर्ज की गई. 15 अगस्त, 2021 से जून 2023 तक तालिबान के सत्ता में आने के बाद से संयुक्त राष्ट्र ने पूर्व अफगान सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा बलों के खिलाफ 800 से अधिक मानवाधिकार उल्लंघनों की सूचना दी है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने कहा, “यह पूर्व सरकार और सुरक्षा बलों से जुड़े व्यक्तियों के दुर्व्यवहार की एक गंभीर तस्वीर पेश करता है.”

संयुक्त राष्ट्र के लोगों को भी हिरासत में लिया गया और प्रताड़ित किया गया
रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाले लोगों को भी पकड़ लिया गया. उन्हें पाइप से बांधने से लेकर केबल से पीटने तक के मामले दर्ज हैं. उन्हें कई दिनों तक एक ही जगह खड़ा रखा जाता था. कुछ लोग आज तक वापस नहीं मिले हैं.
मान्यता की मांग कर रहा तालिबान
अफगानिस्तान लगातार दुनिया से उसे मान्यता देने की मांग कर रहा है. जुलाई के आखिरी हफ्ते में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने अल-अरबिया न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया था. इस दौरान उन्होंने कहा था, “सरकार ने मान्यता पाने के लिए सभी शर्तें पूरी कर ली हैं. इसके बावजूद अमेरिका के दबाव में दूसरे देश हमें मान्यता नहीं दे रहे हैं. हम उन देशों से मान्यता की अपील करते हैं जो अमेरिकी दबाव में नहीं हैं. हम चाहते हैं कि दुनिया के शक्तिशाली इस्लामिक देश हमें सरकार के रूप में मान्यता दें.” मुजाहिद ने कहा, “अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ बातचीत करने और उनकी चिंताओं को सुनने के लिए तैयार है.” उन्होंने बताया कि अगर सऊदी अरब उन्हें मान्यता देने पर सहमत हो जाता है तो वे 58 और मुस्लिम देशों के साथ बातचीत करने की तैयारी कर रहे हैं.


















































































