

मथुरा। मथुरा-वृंदावन और आसपास के इलाके इस समय बाढ़ के संकट से जूझ रहे हैं। मूसलाधार बारिश और बैराजों से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी ने यमुना नदी को उफान पर ला दिया है। नदी का जलस्तर खतरनाक निशान पार कर चुका है। शुक्रवार और शनिवार के लिए प्रशासन ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है।
यमुना नदी का जलस्तर खतरे से ऊपर
पिछले 24 घंटे में यमुना का जलस्तर 166.40 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से 56 सेंटीमीटर ऊपर है। हथिनीकुंड और ओखला बैराज से छोड़े गए पानी ने हालात को और गंभीर बना दिया है। वहीं, गोकुल बैराज से भी 1.11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे नौहझील, मांट, छाता समेत करीब 23 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इनमें से 13 गांव पूरी तरह डूब चुके हैं।
गांव और फसलें प्रभावित
नौहझील क्षेत्र के नौ गांवों में सबसे ज्यादा हालात बिगड़े हुए हैं। कई गांवों के संपर्क मार्ग टूट गए हैं। खेतों में खड़ी धान, बाजरा और ज्वार की फसलें पानी में डूब गई हैं। पशुओं के लिए चारे की भारी किल्लत हो रही है।
शहर में 3-4 फीट पानी, नावें बनी सहारा
मथुरा-वृंदावन के निचले इलाकों जैसे भक्ति विहार, घनश्याम वाटिका, श्रीजी वाटिका, श्याम नगर, केशव नगर और मोहिनी नगर में 3-4 फीट तक पानी भर चुका है। कई परिवार छतों पर शरण लिए हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि सड़कों और गलियों में नावें चल रही हैं।
राहत और बचाव कार्य तेज
अब तक 1500 से ज्यादा लोगों को नावों के जरिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। प्रशासन ने शाहपुर, धानौता, गुलालपुर और नगला नंदी गांव में राहत शिविर बनाए हैं, जहां खाने-पीने और दवाओं की व्यवस्था की गई है।
डीएम चंद्रप्रकाश सिंह ने बताया कि कुल 39 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं और पीएसी व पुलिस बल की तैनाती घाटों और कॉलोनियों में कर दी गई है।
वृंदावन में मंदिर और आश्रम डूबे
वृंदावन में स्थिति बेहद गंभीर है। कालिंदी घाट से लेकर जगन्नाथ घाट और देवराहा बाबा घाट तक पानी फैल गया है। केसी घाट और देवराहा बाबा घाट को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया है। राधारानी मंदिर के पास लाडली कुंड और आसपास के पार्क भी जलमग्न हो चुके हैं। कई मंदिर और आश्रम प्रभावित हैं, साधु-संतों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
नेताओं और संगठनों ने संभाला मोर्चा
विधायक राजेश चौधरी ने नाव से बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया और मदद का भरोसा दिया। वहीं, अक्षयपात्र फाउंडेशन के जरिए बाढ़ पीड़ितों तक भोजन पहुंचाया जा रहा है। तहसील प्रशासन भी गांव-गांव जाकर राहत सामग्री वितरित कर रहा है।
लोगों में भय, मथुरा-वृंदावन बना ‘जल-नगरी’
स्थानीय लोग बता रहे हैं कि यमुना की रफ्तार ने उनकी नींद उड़ा दी है। हर घंटे पानी बढ़ रहा है और खतरा गहराता जा रहा है। कई परिवार अपने बच्चों को गोद में उठाकर छतों पर शरण लिए बैठे हैं।
जहां कभी मथुरा-वृंदावन की गलियां श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहती थीं, वहां अब सिर्फ पानी और नावें दिखाई दे रही हैं।
